श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 53: वज्रदंष्ट्र का सेना सहित युद्ध के लिये प्रस्थान, वानरों और राक्षसों का युद्ध, अङ्गद द्वारा राक्षसों का संहार  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  6.53.32 
 
 
अङ्गदस्य च वेगेन तद् राक्षसबलं महत्।
प्राकम्पत तदा तत्र पवनेनाम्बुदो यथा॥ ३२॥
 
 
अनुवाद
 
  अंगद के वेग से उस समय वहाँ राक्षसों की विशाल सेना ऐसे काँपने लगी जैसे वायु के झोंके से मेघ काँपने लगता है।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे त्रिपञ्चाश: सर्ग: ॥ ५ ३॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें तिरपनवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ५ ३॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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