अंगद के वेग से उस समय वहाँ राक्षसों की विशाल सेना ऐसे काँपने लगी जैसे वायु के झोंके से मेघ काँपने लगता है।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे त्रिपञ्चाश: सर्ग: ॥ ५ ३॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें तिरपनवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ५ ३॥