श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 53: वज्रदंष्ट्र का सेना सहित युद्ध के लिये प्रस्थान, वानरों और राक्षसों का युद्ध, अङ्गद द्वारा राक्षसों का संहार  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  6.53.19 
 
 
निष्पतन्तो महोत्साहा भिन्नदेहशिरोधरा:।
रुधिरोक्षितसर्वाङ्गा न्यपतन् धरणीतले॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  वे बड़े उत्साहसे युद्धके लिये निकलते; परंतु देह और गर्दन कट जानेसे पृथ्वीपर गिर पड़ते थे। उस समय उनके सारे अङ्ग रक्तसे भीग जाते थे॥ १९॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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