श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 53: वज्रदंष्ट्र का सेना सहित युद्ध के लिये प्रस्थान, वानरों और राक्षसों का युद्ध, अङ्गद द्वारा राक्षसों का संहार  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  6.53.15 
 
 
व्याहरन्त मृगा घोरा रक्षसां निधनं तदा।
समापतन्तो योधास्तु प्रास्खलंस्तत्र दारुणम्॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  भयंकर पशु ऐसी वाणी बोल रहे थे जिससे राक्षसों के विनाश की सूचना मिल रही थी। युद्ध के लिए आते हुए योद्धा बुरी तरह लड़खड़ाकर गिर जाते थे। इससे उनकी स्थिति बहुत दयनीय हो जाती थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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