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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 52: धूम्राक्ष का युद्ध और हनुमान जी के द्वारा उसका वध
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श्लोक 5-6
श्लोक
6.52.5-6
ते गदाभिश्च भीमाभि: पट्टिशै: कूटमुद्गरै:।
घोरैश्च परिघैश्चित्रैस्त्रिशूलैश्चापि संश्रितै:॥ ५॥
विदार्यमाणा रक्षोभिर्वानरास्ते महाबला:।
अमर्षजनितोद्धर्षाश्चक्रु: कर्माण्यभीतवत्॥ ६॥
अनुवाद
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राक्षसों के हाथों में भयंकर गदाएँ, पट्टिशा, कूट, मुदगर, घोर परिघ और हाथ में लिए हुए विचित्र त्रिशूलों से विदीर्ण किए जाते हुए वे महाबली वानर अमर्षजनित उत्साह से निर्भयता के साथ महान् कार्यों को करने लगे॥ ५-६॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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