श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 52: धूम्राक्ष का युद्ध और हनुमान जी के द्वारा उसका वध  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  6.52.31 
 
 
विभिन्नशिरसो भूत्वा राक्षसा रुधिरोक्षिता:।
द्रुमै: प्रमथिताश्चान्ये निपेतुर्धरणीतले॥ ३१॥
 
 
अनुवाद
 
  बहुत सारे राक्षसों के कई सिर टूट गए और वे खून से नहा उठे। अन्य बहुत से राक्षस पेड़ों की मार से कुचले जाकर धरती पर गिर पड़े।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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