श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 51: श्रीराम के बन्धनमुक्त होने का पता पाकर चिन्तित हए रावण का धूम्राक्ष को युद्ध के लिये भेजना  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  6.51.21 
 
 
अभिनिष्क्रम्य तद् द्वारं बलाध्यक्षमुवाच ह।
त्वरयस्व बलं शीघ्रं किं चिरेण युयुत्सत:॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण के महल के द्वार पर पहुँचकर उसने सेनापति से कहा – ‘सेना को जल्दी से तैयार करो। युद्ध के लिए तैयार होने वालों को देर करने से क्या लाभ?।’
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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