वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 51: श्रीराम के बन्धनमुक्त होने का पता पाकर चिन्तित हए रावण का धूम्राक्ष को युद्ध के लिये भेजना
»
श्लोक 21
श्लोक
6.51.21
अभिनिष्क्रम्य तद् द्वारं बलाध्यक्षमुवाच ह।
त्वरयस्व बलं शीघ्रं किं चिरेण युयुत्सत:॥ २१॥
अनुवाद
play_arrowpause
रावण के महल के द्वार पर पहुँचकर उसने सेनापति से कहा – ‘सेना को जल्दी से तैयार करो। युद्ध के लिए तैयार होने वालों को देर करने से क्या लाभ?।’
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.