श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 51: श्रीराम के बन्धनमुक्त होने का पता पाकर चिन्तित हए रावण का धूम्राक्ष को युद्ध के लिये भेजना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  6.51.11 
 
 
तदप्रियं दीनमुखा रावणस्य च राक्षसा:।
कृत्स्नं निवेदयामासुर्यथावद् वाक्यकोविदा:॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  वे बातचीत करने और अप्रिय समाचार बताने में दक्ष थे। उनके चेहरे पर दीनता और दुख की भावना थी। उन निशाचरों ने रावण को वह सारा अप्रिय समाचार यथावत् और विस्तार से बताया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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