वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 50: विभीषण को इन्द्रजित समझकर वानरों का पलायन, गरुड़ का आना और श्रीराम लक्ष्मण को नागपाश से मुक्त करके जाना
»
श्लोक 5
श्लोक
6.50.5
विषण्णवदना ह्येते त्यक्तप्रहरणा दिश:।
पलायन्तेऽत्र हरयस्त्रासादुत्फुल्ललोचना:॥ ५॥
अनुवाद
play_arrowpause
हाँ, ये वानर परम शोकाकुल दिखाई पड़ते हैं, अपने हथियार फेंककर वे विभिन्न दिशाओं में भाग रहे हैं। भय के कारण उनकी आँखें फैली हुई हैं और वे इधर-उधर देख रहे हैं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.