हरयस्तु विजानन्ति पार्वती ते महौषधी।
संजीवकरणीं दिव्यां विशल्यां देवनिर्मिताम्॥ ३०॥
अनुवाद
हरयः, सम्पाति आदि वानर, पर्वत पर प्रतिष्ठित हुई दो प्रसिद्ध महौषधियों को जानते हैं। एक का नाम संजीवकरणी है और दूसरी का विशल्यकरणी। ये दोनों दिव्य औषधियाँ साक्षात् ब्रह्माजी ने बनाई हैं।