श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 50: विभीषण को इन्द्रजित समझकर वानरों का पलायन, गरुड़ का आना और श्रीराम लक्ष्मण को नागपाश से मुक्त करके जाना  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  6.50.30 
 
 
हरयस्तु विजानन्ति पार्वती ते महौषधी।
संजीवकरणीं दिव्यां विशल्यां देवनिर्मिताम्॥ ३०॥
 
 
अनुवाद
 
  हरयः, सम्पाति आदि वानर, पर्वत पर प्रतिष्ठित हुई दो प्रसिद्ध महौषधियों को जानते हैं। एक का नाम संजीवकरणी है और दूसरी का विशल्यकरणी। ये दोनों दिव्य औषधियाँ साक्षात् ब्रह्माजी ने बनाई हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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