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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 50: विभीषण को इन्द्रजित समझकर वानरों का पलायन, गरुड़ का आना और श्रीराम लक्ष्मण को नागपाश से मुक्त करके जाना
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श्लोक 11
श्लोक
6.50.11
सुग्रीवेणैवमुक्तस्तु जाम्बवानृक्षपार्थिव:।
वानरान् सान्त्वयामास संनिवर्त्य प्रधावत:॥ ११॥
अनुवाद
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सुग्रीव के ऐसा कहने पर जाम्बवान, जो ऋक्षराज थे, दौड़ते हुए वानरों को वापस लाए और उन्हें सान्त्वना दी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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