श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 49: श्रीराम का सचेत हो लक्ष्मण के लिये विलाप करना और स्वयं प्राणत्याग का विचार करके वानरों को लौट जाने की आज्ञा देना  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  6.49.33 
 
 
तं दृष्ट्वा त्वरितं यान्तं नीलाञ्जनचयोपमम्।
वानरा दुद्रुवु: सर्वे मन्यमानास्तु रावणिम्॥ ३३॥
 
 
अनुवाद
 
  तब एकाएक नीले कोयलों-जैसे रंग वाले विभीषण को शीघ्रता से आते देख सभी वानर उन्हें रावण का पुत्र, इन्द्रजित समझकर इधर-उधर भागने लगे।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे एकोनपञ्चाश: सर्ग ॥ ४ ९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें उनचासवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ४ ९॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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