तब एकाएक नीले कोयलों-जैसे रंग वाले विभीषण को शीघ्रता से आते देख सभी वानर उन्हें रावण का पुत्र, इन्द्रजित समझकर इधर-उधर भागने लगे।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे एकोनपञ्चाश: सर्ग ॥ ४ ९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें उनचासवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ४ ९॥