श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 49: श्रीराम का सचेत हो लक्ष्मण के लिये विलाप करना और स्वयं प्राणत्याग का विचार करके वानरों को लौट जाने की आज्ञा देना  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  6.49.27 
 
 
गवयेन गवाक्षेण शरभेण गजेन च।
अन्यैश्च हरिभिर्युद्धं मदर्थे त्यक्तजीवितै:॥ २७॥
 
 
अनुवाद
 
  गवाक्ष, गवय, शरभ, गज और अन्य वानर भी मेरे लिए अपने प्राणों की आहुति देकर युद्ध करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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