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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 48: सीता का विलाप और त्रिजटा का उन्हें समझा-बुझाकर श्रीराम-लक्ष्मण के जीवित होने का विश्वास दिलाना
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श्लोक 18
श्लोक
6.48.18
नहि दृष्टिपथं प्राप्य राघवस्य रणे रिपु:।
जीवन् प्रतिनिवर्तेत यद्यपि स्यान्मनोजव:॥ १८॥
अनुवाद
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अन्यथा युद्ध के मैदान में श्रीराम के दृष्टिपथ में आकर कोई भी शत्रु, चाहे वह कितना भी तेज क्यों न हो, जीवित नहीं लौट सकता था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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