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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 47: वानरों द्वारा श्रीराम और लक्ष्मण की रक्षा, सीता को पुष्पकविमान द्वारा श्रीराम और लक्ष्मण का दर्शन कराना और सीता रुदन
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श्लोक 9
श्लोक
6.47.9
निर्विशङ्का निरुद्विग्ना निरपेक्षा च मैथिली।
मामुपस्थास्यते सीता सर्वाभरणभूषिता॥ ९॥
अनुवाद
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मिथिलेश कुमारी सीता को अब मेरी अपेक्षा नहीं रहेगी। वह भय और शंका को त्यागकर सभी आभूषणों से सुशोभित होकर मेरी सेवा में उपस्थित होंगी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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