श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 46: श्रीराम और लक्ष्मण को मूर्च्छित देख वानरों का शोक, इन्द्रजित का पिता को शत्रुवध का वृत्तान्त बताना  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  6.46.42 
 
 
एते हि फुल्लनयनास्त्रासादागतसाध्वसा:।
कर्णे कर्णे प्रकथिता हरयो हरिसत्तम॥ ४२॥
 
 
अनुवाद
 
  देखो कपिश्रेष्ठ! इन वानरों के नेत्र चौड़े हो गए हैं और हृदय में भय समा गया है। वे आपस में कानाफूसी कर रहे हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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