नैतत् किंचन रामस्य न च रामो मुमूर्षति।
नह्येनं हास्यते लक्ष्मीर्दुर्लभा या गतायुषाम्॥ ४०॥
अनुवाद
श्रीराम के लिये ये संकट न के बराबर है। श्रीराम मर नहीं सकते हैं क्योंकि उनका जीवन समाप्त नहीं हुआ है और उनके पास दुर्लभ लक्ष्मी है जो उनके पास बनी हुई है। श्रीराम के लिये ये संकट कुछ भी नहीं है। श्रीराम मर नहीं सकते क्योंकि उनके पास इतनी लक्ष्मी है जितनी दुर्लभ है। गतायुष को लक्ष्मी छोड़कर चली जाती है लेकिन श्रीराम का जीवन अभी समाप्त नहीं हुआ है। इसलिये उनके पास लक्ष्मी है।