श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 46: श्रीराम और लक्ष्मण को मूर्च्छित देख वानरों का शोक, इन्द्रजित का पिता को शत्रुवध का वृत्तान्त बताना  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  6.46.39 
 
 
अथ वा रक्ष्यतां रामो यावत्संज्ञाविपर्यय:।
लब्धसंज्ञौ हि काकुत्स्थौ भयं नौ व्यपनेष्यत:॥ ३९॥
 
 
अनुवाद
 
  अथवा जब तक श्रीरामचंद्र जी को होश न आ जाए, तब तक उनकी रक्षा की जानी चाहिए। जब उनकी चेतना वापस आ जाएगी, तो ये दोनों रघुवंशी वीर हमारे सारे भय को दूर कर देंगे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.