श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 46: श्रीराम और लक्ष्मण को मूर्च्छित देख वानरों का शोक, इन्द्रजित का पिता को शत्रुवध का वृत्तान्त बताना  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  6.46.37 
 
 
न काल: कपिराजेन्द्र वैक्लव्यमवलम्बितुम्।
अतिस्नेहोऽपि कालेऽस्मिन् मरणायोपकल्पते॥ ३७॥
 
 
अनुवाद
 
  वानरों के राजा! अभी घबराने का समय नहीं है। इस समय आवश्यकता से ज़्यादा दया और स्नेह दिखाने से मृत्यु का भय भी पैदा हो सकता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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