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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 46: श्रीराम और लक्ष्मण को मूर्च्छित देख वानरों का शोक, इन्द्रजित का पिता को शत्रुवध का वृत्तान्त बताना
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श्लोक 35
श्लोक
6.46.35
तत: सलिलमादाय विद्यया परिजप्य च।
सुग्रीवनेत्रे धर्मात्मा प्रममार्ज विभीषण:॥ ३५॥
अनुवाद
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तदनंतर धर्मात्मा विभीषण ने जल लेकर उसको मंत्रों से अभिमंत्रित किया और सुग्रीव के नेत्रों में छिड़का।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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