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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 46: श्रीराम और लक्ष्मण को मूर्च्छित देख वानरों का शोक, इन्द्रजित का पिता को शत्रुवध का वृत्तान्त बताना
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श्लोक 34
श्लोक
6.46.34
एवमुक्त्वा ततस्तस्य जलक्लिन्नेन पाणिना।
सुग्रीवस्य शुभे नेत्रे प्रममार्ज विभीषण:॥ ३४॥
अनुवाद
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इस प्रकार कहकर विभीषण ने जल से भीगे हुए हाथों से सुग्रीव की सुंदर आँखों को पोंछ दिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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