वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 46: श्रीराम और लक्ष्मण को मूर्च्छित देख वानरों का शोक, इन्द्रजित का पिता को शत्रुवध का वृत्तान्त बताना
»
श्लोक 28
श्लोक
6.46.28
हर्षेण तु समाविष्ट इन्द्रजित् समितिञ्जय:।
प्रविवेश पुरीं लङ्कां हर्षयन् सर्वनैर्ऋतान्॥ २८॥
अनुवाद
play_arrowpause
इन्द्रजित् युद्ध का विजेता बना, इससे वह बहुत प्रसन्न हुआ और सभी राक्षसों को प्रसन्न करते हुए लंका नगरी में चला गया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.