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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 46: श्रीराम और लक्ष्मण को मूर्च्छित देख वानरों का शोक, इन्द्रजित का पिता को शत्रुवध का वृत्तान्त बताना
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श्लोक 27
श्लोक
6.46.27
निष्पन्दौ तु तदा दृष्ट्वा भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ।
वसुधायां निरुच्छ्वासौ हतावित्यन्वमन्यत॥ २७॥
अनुवाद
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इन्द्रजीत ने देखा कि श्रीराम और लक्ष्मण दोनों ही भाई पृथ्वी पर बिना कोई हरकत किये लेटे हुए थे और उनकी सांस भी नहीं चल रही थी, तब उसने उन्हें मृत समझ लिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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