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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 46: श्रीराम और लक्ष्मण को मूर्च्छित देख वानरों का शोक, इन्द्रजित का पिता को शत्रुवध का वृत्तान्त बताना
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श्लोक 25
श्लोक
6.46.25
एवमुक्तास्तु ते सर्वे राक्षसा: कूटयोधिन:।
परं विस्मयमापन्ना: कर्मणा तेन हर्षिता:॥ २५॥
अनुवाद
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इंद्रजित के ऐसा कहने पर कूट-युद्ध करने वाले सभी राक्षस अत्यंत विस्मित हुए और उसके उस कार्य से उन्हें अपार हर्ष भी हुआ।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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