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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 46: श्रीराम और लक्ष्मण को मूर्च्छित देख वानरों का शोक, इन्द्रजित का पिता को शत्रुवध का वृत्तान्त बताना
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श्लोक 24
श्लोक
6.46.24
शरबन्धेन घोरेण मया बद्धौ चमूमुखे।
सहितौ भ्रातरावेतौ निशामयत राक्षसा:॥ २४॥
अनुवाद
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‘राक्षसो! देख लो, मैंने युद्धके मुहानेपर भयंकर बाणोंके पाशसे इन दोनों भाइयों श्रीराम और लक्ष्मणको एक साथ ही बाँध लिया है’॥ २४॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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