बद्धौ तु तौ वीरशये शयानौ
ते वानरा: सम्परिवार्य तस्थु:।
समागता वायुसुतप्रमुख्या
विषादमार्ता: परमं च जग्मु:॥ २८॥
अनुवाद
चारों ओर से बंदरों के खड़े हो जाने पर शिला पर कमल के फूलों की तरह सोये हुए वे दोनों भाई नागपाश से बंधे पड़े थे। वहां पहुँचे हुए वायुपुत्र हनुमान आदि प्रमुख बंदरों का मन दुखी हो गया और वे बड़े विषाद में पड़ गये।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे पञ्चचत्वारिंश: सर्ग: ॥ ४ ५॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें पैंतालीसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ४ ५॥