श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 45: इन्द्रजित के बाणों से श्रीराम और लक्ष्मण का अचेत होना और वानरों का शोक करना  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  6.45.27 
 
 
हरयश्चापि तं दृष्ट्वा संतापं परमं गता:।
शोकार्ताश्चुक्रुशुर्घोरमश्रुपूरितलोचना:॥ २७॥
 
 
अनुवाद
 
  हरियों (वानरों) ने उन्हें उस अवस्था में देखकर अत्यधिक संताप अनुभव किया। वे शोक से व्याकुल हो गए। उनकी आँखें आँसुओं से भर आईं और वे जोर-जोर से विलाप करने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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