श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 45: इन्द्रजित के बाणों से श्रीराम और लक्ष्मण का अचेत होना और वानरों का शोक करना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  6.45.19 
 
 
तौ वीरशयने वीरौ शयानौ रुधिरोक्षितौ।
शरवेष्टितसर्वाङ्गावार्तौ परमपीडितौ॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  युद्धभूमि में वीरशय्या पर सोए हुए वे दोनों वीर रक्त से नहाए हुए थे। उनके पूरे शरीर पर बाणों की तरह लिपटे हुए नाग उन्हें बहुत पीड़ा और कष्ट दे रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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