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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 44: रात में वानरों और राक्षसों का घोर युद्ध, अङ्गद के द्वारा इन्द्रजित की पराजय, इन्द्रजित द्वारा श्रीराम और लक्ष्मण को बाँधना
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श्लोक 22
श्लोक
6.44.22
निमेषान्तरमात्रेण घोरैरग्निशिखोपमै:।
दिशश्चकार विमला: प्रदिशश्च महारथ:॥ २२॥
अनुवाद
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महारथी श्रीराम ने पलक मारते-मारते ही भयंकर और अग्निशिखा के समान प्रज्वलित बाणों द्वारा सभी दिशाओं, उनके कोणों को निर्मल और प्रकाशपूर्ण बना दिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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