वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 44: रात में वानरों और राक्षसों का घोर युद्ध, अङ्गद के द्वारा इन्द्रजित की पराजय, इन्द्रजित द्वारा श्रीराम और लक्ष्मण को बाँधना
»
श्लोक 17
श्लोक
6.44.17
ततस्ते राक्षसास्तत्र तस्मिंस्तमसि दारुणे।
राममेवाभ्यवर्तन्त संहृष्टा: शरवृष्टिभि:॥ १७॥
अनुवाद
play_arrowpause
तत्पश्चात् उस घोर अंधकार के मध्य वे सभी राक्षस हर्ष और उत्साह में भरकर बाणों की वर्षा करते हुए स्वयं भगवान श्रीराम पर ही आक्रमण करने लगे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.