श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 43: द्वन्द्वयुद्ध में वानरों द्वारा राक्षसों की पराजय  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  6.43.36 
 
 
तं रथस्थमथो दृष्ट्वा सुषेणो वानरोत्तम:।
गिरिशृङ्गेण महता रथमाशु न्यपातयत्॥ ३६॥
 
 
अनुवाद
 
  रथ में बैठे रावण को देख वानरश्रेष्ठ सुषेण ने एक विशाल पर्वत-शिखर उठाकर उसके रथ को तुरंत चकनाचूर कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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