श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 42: लङ्का पर वानरों की चढ़ाई तथा राक्षसों के साथ उनका घोर युद्ध  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  6.42.22 
 
 
वीरबाहु: सुबाहुश्च नलश्च पनसस्तथा।
निपीडॺोपनिविष्टास्ते प्राकारं हरियूथपा:।
एतस्मिन्नन्तरे चक्रु: स्कन्धावारनिवेशनम्॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  ठीक उस समय, वीरबाहु, सुबाहु, नल और पनस- ये बंदरों के नेता, लंका के किले की दीवार पर चढ़कर बैठ गए और उसी दौरान उन्होंने वहाँ अपनी सेना का शिविर स्थापित किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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