श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 41: श्रीराम का सुग्रीव को दुःसाहस से रोकना, लङ्का के चारों द्वारों पर वानरसैनिकों की नियक्ति, रामदत अङद का रावण के महल में पराक्रम तथा वानरों के आक्रमण से राक्षसों को भय  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  6.41.19 
 
 
दृश्यन्ते न यथावच्च नक्षत्राण्यभिवर्तते।
युगान्तमिव लोकस्य पश्य लक्ष्मण शंसति॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण! ये नक्षत्र ठीक से प्रकाशित नहीं हो रहे हैं, मलिन से दिखायी दे रहे हैं। ये अशुभ संकेत संसार के प्रलय के समान मुझे दिखायी पड़ रहे हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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