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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 41: श्रीराम का सुग्रीव को दुःसाहस से रोकना, लङ्का के चारों द्वारों पर वानरसैनिकों की नियक्ति, रामदत अङद का रावण के महल में पराक्रम तथा वानरों के आक्रमण से राक्षसों को भय
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श्लोक 18
श्लोक
6.41.18
ह्रस्वो रूक्षोऽप्रशस्तश्च परिवेष: सुलोहित:।
आदित्यमण्डले नीलं लक्ष्म लक्ष्मण दृश्यते॥ १८॥
अनुवाद
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लक्ष्मण! सूर्यमंडल में छोटा, रूखा, अमंगलकारी और बहुत लाल रंग का घेरा दिख रहा है। साथ ही वहाँ काला निशान भी दिखाई दे रहा है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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