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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 41: श्रीराम का सुग्रीव को दुःसाहस से रोकना, लङ्का के चारों द्वारों पर वानरसैनिकों की नियक्ति, रामदत अङद का रावण के महल में पराक्रम तथा वानरों के आक्रमण से राक्षसों को भय
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श्लोक 17
श्लोक
6.41.17
रजन्यामप्रकाशश्च संतापयति चन्द्रमा:।
कृष्णरक्तांशुपर्यन्तो यथा लोकस्य संक्षये॥ १७॥
अनुवाद
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रात्रि के समय चन्द्रमा का प्रकाश मंद हो जाता है और वे शीतलता के बजाय संताप देते हैं। चन्द्रमा के किनारे का भाग काला और लाल दिखाई देता है। इस समय चन्द्रमा का रूप बिल्कुल वैसा ही है जैसा कि समस्त लोकों के संहार के समय होता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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