श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 41: श्रीराम का सुग्रीव को दुःसाहस से रोकना, लङ्का के चारों द्वारों पर वानरसैनिकों की नियक्ति, रामदत अङद का रावण के महल में पराक्रम तथा वानरों के आक्रमण से राक्षसों को भय  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  6.41.16 
 
 
आदित्यमभिवाश्यन्ति जनयन्तो महद्भयम्।
दीना दीनस्वरा घोरा अप्रशस्ता मृगद्विजा:॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  निषिद्ध पशु और पक्षी दीन होकर दीनता सूचक स्वर में सूर्य की ओर देखते हुए चीत्कार करते हैं, उनका यह रूप भयावह लगता है और महान भय उत्पन्न करता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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