श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 41: श्रीराम का सुग्रीव को दुःसाहस से रोकना, लङ्का के चारों द्वारों पर वानरसैनिकों की नियक्ति, रामदत अङद का रावण के महल में पराक्रम तथा वानरों के आक्रमण से राक्षसों को भय  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  6.41.14 
 
 
मेघा: क्रव्यादसंकाशा: परुषा: परुषस्वरा:।
क्रूरा: क्रूरं प्रवर्षन्ते मिश्रं शोणितबिन्दुभि:॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  मेघ हिंसक पक्षियों की तरह क्रूर हो गए हैं। वे कठोर स्वर में जोर से गरज रहे हैं और खून की बूंदों से मिले हुए पानी की क्रूर बारिश कर रहे हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.