श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 40: सुग्रीव और रावण का मल्लयुद्ध  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  6.40.18 
 
 
आलिङ्‍ग्य चालिङ्‍ग्य च बाहुयोक्त्रै:
संयोजयामासतुराहवे तौ।
संरम्भशिक्षाबलसम्प्रयुक्तौ
सुचेरतु: सम्प्रति युद्धमार्गै:॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  तब उन दोनों ने एक-दूसरे को बार-बार बाहों में भरकर जकड़ लिया। दोनों ही क्रोध, मल्लयुद्ध की शिक्षा और शारीरिक बल से संपन्न थे; इसलिए उस युद्धस्थल में कुश्ती के अनेक दाँव-पेंच दिखाते हुए घूमने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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