श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 4: श्रीराम आदि के साथ वानर-सेना का प्रस्थान और समुद्र-तट पर उसका पड़ाव  »  श्लोक 109
 
 
श्लोक  6.4.109 
 
 
दूरपारमसम्बाधं रक्षोगणनिषेवितम्।
पश्यन्तो वरुणावासं निषेदुर्हरियूथपा:॥ १०९॥
 
 
अनुवाद
 
  वरुणालय समुद्र के तट पर हनुमान सहित वानर योद्धा बैठे हुए थे। समुद्र का दूसरा किनारा बहुत दूर था और बीच में कोई भी आश्रय नहीं था। समुद्र में राक्षसों का निवास था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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