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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 4: श्रीराम आदि के साथ वानर-सेना का प्रस्थान और समुद्र-तट पर उसका पड़ाव
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श्लोक 101
श्लोक
6.4.101
सर्वा: सेना निवेश्यन्तां वेलायां हरिपुङ्गव।
सम्प्राप्तो मन्त्रकालो न: सागरस्येह लङ्घने॥ १०१॥
अनुवाद
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वे बोले—‘कपिश्रेष्ठ! समस्त सेनाओंको समुद्रके तटपर ठहराया जाय। अब यहाँ हमारे लिये समुद्र-लङ्घनके उपायपर विचार करनेका अवसर प्राप्त हुआ है॥ १०१॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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