श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 39: वानरों सहित श्रीराम का सुवेलशिखर से लङ्कापुरी का निरीक्षण करना  »  श्लोक 3-5
 
 
श्लोक  6.39.3-5 
 
 
चम्पकाशोकबकुलशालतालसमाकुला।
तमालवनसंछन्ना नागमालासमावृता॥ ३॥
हिन्तालैरर्जुनैर्नीपै: सप्तपर्णै: सुपुष्पितै:।
तिलकै: कर्णिकारैश्च पाटलैश्च समन्तत:॥ ४॥
शुशुभे पुष्पिताग्रैश्च लतापरिगतैर्द्रुमै:।
लङ्का बहुविधैर्दिव्यैर्यथेन्द्रस्यामरावती॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  लङ्का पुरी चम्पा, अशोक, बकुल, शाल और ताल-वृक्षों से व्याप्त है। तमाल-वन से आच्छादित और नाग केसरों से आवृत है। इन्द्र की अमरावती के समान शोभा पाती है। हिंताल, अर्जुन, नीप (कदम्ब), खिले हुए छितवन, तिलक,कनेर तथा पाटल आदि नाना प्रकार के दिव्य वृक्षों से जिनके अग्रभाग फूलों के भार से लदे थे तथा जिन पर लताबल्लरियाँ फैली हुई थीं यह लङ्कापुरी अत्यंत सुंदर दिखती थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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