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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 39: वानरों सहित श्रीराम का सुवेलशिखर से लङ्कापुरी का निरीक्षण करना
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श्लोक 17
श्लोक
6.39.17
शिखरं तु त्रिकूटस्य प्रांशु चैकं दिविस्पृशम्।
समन्तात् पुष्पसंछन्नं महारजतसंनिभम्॥ १७॥
अनुवाद
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त्रिकूट पर्वत की एक चोटी बहुत ऊँची थी। यह स्वर्गलोक को छूती नजर आती थी। उस पर चारों तरफ पीले रंग के फूल खिले हुए थे, जिनसे वह सोने के समान चमक रहा था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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