श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 37: विभीषण का श्रीराम से लङ्का की रक्षा के प्रबन्ध का वर्णन तथा श्रीराम द्वारा लङ्का के विभिन्न द्वारों पर आक्रमण करने के लिये अपने सेनापतियों की नियुक्ति  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  6.37.9 
 
 
संविधानं यथाहुस्ते रावणस्य दुरात्मन:।
राम तद् ब्रुवत: सर्वं याथातथ्येन मे शृणु॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  "श्रीराम! ये दुष्ट रावण की नगर रक्षा के लिए की गई व्यवस्था का वर्णन कर रहे हैं, मैं तुम्हें वही ठीक-ठीक बताता हूँ। तुम सब मुझसे सुनो।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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