श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 35: माल्यवान् का रावण को श्रीराम से संधि करने के लिये समझाना  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  6.35.37 
 
 
इदं वचस्तस्य निगद्य माल्यवान्
परीक्ष्य रक्षोधिपतेर्मन: पुन:।
अनुत्तमेषूत्तमपौरुषो बली
बभूव तूष्णीं समवेक्ष्य रावणम्॥ ३७॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार कहकर और राक्षसों के राजा रावण के मनोभाव की परीक्षा करके उत्तम मंत्रियों में श्रेष्ठ पौरुषशाली महाबली माल्यवान् ने रावण की ओर देखा और चुप हो गए।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे पञ्चत्रिंश: सर्ग: ॥ ३ ५॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें पैंतीसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ३ ५॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.