इस प्रकार कहकर और राक्षसों के राजा रावण के मनोभाव की परीक्षा करके उत्तम मंत्रियों में श्रेष्ठ पौरुषशाली महाबली माल्यवान् ने रावण की ओर देखा और चुप हो गए।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे पञ्चत्रिंश: सर्ग: ॥ ३ ५॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें पैंतीसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ३ ५॥