श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 35: माल्यवान् का रावण को श्रीराम से संधि करने के लिये समझाना  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  6.35.28 
 
 
कालिका: पाण्डुरैर्दन्तै: प्रहसन्त्यग्रत: स्थिता:।
स्त्रिय: स्वप्नेषु मुष्णन्त्यो गृहाणि प्रतिभाष्य च॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  कालिका नाम की राक्षसी सपने में मेरे समाने पर अपने पीले दाँत दिखाते हुए मेरे ठीक समाने खड़ी हो जाती है। वह प्रतिकूल बातें करके मेरे घर को नष्ट कर देती है और जोर-जोर से हँसती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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