श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 35: माल्यवान् का रावण को श्रीराम से संधि करने के लिये समझाना  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  6.35.26 
 
 
रुदतां वाहनानां च प्रपतन्त्यश्रुबिन्दव:।
रजोध्वस्ता विवर्णाश्च न प्रभान्ति यथापुरम्॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  अश्व और हस्ती जैसे वाहन जोर-जोर से रुदन कर रहे हैं, उनके नेत्रों से आंसू की धारा बह रही है। धूल से दिशाएँ मैली हो गई हैं और अब वे पहले की तरह चमकदार नहीं दिख रही हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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