श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 35: माल्यवान् का रावण को श्रीराम से संधि करने के लिये समझाना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  6.35.16 
 
 
स प्रमादात् प्रवृद्धस्तेऽधर्मोऽहिर्ग्रसते हि न:।
विवर्धयति पक्षं च सुराणां सुरभावन:॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम्हारे प्रमाद से पनपा हुआ अधर्म रूपी विशाल सांप अब हमें निगलने के लिए तैयार हो रहा है और देवताओं द्वारा संरक्षित धर्म लगातार बलवान होता जा रहा है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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