वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 33: सरमा का सीता को सान्त्वना देना, रावण की माया का भेद खोलना, श्रीराम के आगमन और उनके विजयी होने का विश्वास दिलाना
»
श्लोक 37
श्लोक
6.33.37
सभाजिता त्वं रामेण मोदिष्यसि महात्मना।
सुवर्षेण समायुक्ता यथा सस्येन मेदिनी॥ ३७॥
अनुवाद
play_arrowpause
तुम महात्मा श्रीराम के सान्निध्य में मोदित हो जाओगी, जैसे वर्षा ऋतु में धरती हरियाली से लहलहा उठती है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.