ततस्तथेति प्रतिगृह्य तद्वच-
स्तदैव दूता: सहसा महद् बलम्।
समानयंश्चैव समागतं च
न्यवेदयन् भर्तरि युद्धकाङ्क्षिणि॥ ४४॥
अनुवाद
तब दूतों ने ‘ऐसा ही होगा’ कहकर रावण की आज्ञा स्वीकार की और तत्काल ही बड़ी सेना एकत्र कर ली; फिर युद्ध की इच्छा रखने वाले अपने स्वामी को बताया कि ‘सारी सेना आ गई है’।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे द्वात्रिंश: सर्ग: ॥ ३ २॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें बत्तीसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ३ २॥