वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 32: श्रीराम के मारे जाने का विश्वास करके सीता का विलाप तथा रावण का सभा में जाकर मन्त्रियों के सलाह से युद्धविषयक उद्योग करना
»
श्लोक 42
श्लोक
6.32.42
अविदूरस्थितान् सर्वान् बलाध्यक्षान् हितैषिण:।
अब्रवीत् कालसदृशं रावणो राक्षसाधिप:॥ ४२॥
अनुवाद
play_arrowpause
अब रावण ने समीप खड़े अपने हितैषी सेनापतियों से समय का अनुकूलन करते हुए इस प्रकार बात की।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.