श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 32: श्रीराम के मारे जाने का विश्वास करके सीता का विलाप तथा रावण का सभा में जाकर मन्त्रियों के सलाह से युद्धविषयक उद्योग करना  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  6.32.37 
 
 
नूनमस्ति महाराज राजभावात् क्षमान्वित।
किंचिदात्ययिकं कार्यं तेषां त्वं दर्शनं कुरु॥ ३७॥
 
 
अनुवाद
 
  क्षमा करें महाराज! निश्चित ही कोई अत्यंत आवश्यक राजकीय कार्य सामने आ गया है, इसीलिये उन्हें दर्शन देने की कृपा करिये।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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